*SC में केस का बंटवारा: चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा- चीफ जस्टिस ही सब कुछ*
*चीफ जस्टिस के पास है केसों के बंटवारे का विशेषाधिकार, उनके काम पर अविश्वास नहीं किया जा सकता*
*नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया सभी जजों में प्रधान हैं। कोर्ट में मुकदमों का आवंटन और बेंच गठित करना उनका संवैधानिक अधिकार है। इसके साथ ही कोर्ट ने वकील आशोक पांडे की ओर से दाखिल की गई जनहित याचिका खारिज कर दी। इसमें कोर्ट में केस के बंटवारे के लिए गाइडलाइन तय करने की मांग की गई थी।
*चीफ जस्टिस के कामकाज पर अविश्वास नहीं*
- जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने बेंच की ओर से लिखे अपने फैसले में कहा, "सीजेआई उच्च संवैधानिक पदाधिकारी हैं। संविधान के तहत सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही चलाने के लिए सीजीआई के कामों को लेकर अविश्वास नहीं किया जा सकता।"
*जनवरी में 4 जजों ने की थी प्रेस कॉन्फ्रेंस*
- 12 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट के 4 जजों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। इसमें चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के बाद दूसरे नंबर के सीनियर जज जस्टिस जे चेलमेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई,
जस्टिस मदन बी लोकुर और कुरियन जोसेफ शामिल हुए थे।
- प्रेस कॉन्फ्रेंस में जस्टिस चेलमेश्वर ने चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के तौर-तरीकों पर सवाल उठाए। कहा- "लोकतंत्र दांव पर है। ठीक नहीं किया तो सब खत्म हो जाएगा।" उन्होंने चीफ जस्टिस को दो महीने पहले लिखा 7 पेज का पत्र भी जारी किया। इसमें आरोप लगाया गया था कि चीफ जस्टिस पसंद की बेंचों में केस भेजते हैं।
- शीर्ष अदालत के इतिहास में यह पहला मौका था जब इसके जजों ने मीडिया के सामने सुप्रीम कोर्ट के सिस्टम पर सवाल उठाए थे।
- जजों की प्रेस कांफ्रेंस के बाद अशोक पांडे ने पीआईएल दाखिल की थी।
*जजों की नाराजगी के बाद चीफ जस्टिस ने किया था बदलाव*
- जजों की नाराजगी के बाद चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने फरवरी में काम के बंटवारे का रोस्टर जारी किया था। जिसमें तय किया था कि कौन से जज के पास किस सब्जेक्ट के केस जाएंगे। इसके तहत सभी जनहित याचिकाओं पर सिर्फ चीफ जस्टिस की बेंच ही सुनवाई करेगी और संविधान पीठ में जज भी वही तय करेंगे।
- वहीं, पुराने सिस्टम में काम के बंटवारे का कोई क्राइटेरिया नहीं था। चीफ जस्टिस की सलाह से रजिस्ट्री केस बांटती थी। सिर्फ चीफ जस्टिस ही जानते थे कि किसके पास कैसे मामले हैं। वह अपनी मर्जी से किसी के भी पास जनहित याचिका भेज सकते थे।
*चीफ जस्टिस ये मामले देख रहे*
- सभी जनहित याचिका, लेटर पिटीशन, बंदी प्रत्यक्षीकरण, आपराधिक, अवमानना, सिविल, जांच आयोग, कानूनी अधिकारियों की नियुक्ति, सामाजिक न्याय, संवैधानिक, सर्विस, चुनाव, आर्बिट्रेशन और संवैधानिक नियुक्तियों से जुड़े मामले।
*नाराजगी जताने वाले 4 जजों के पास ये मामले*
*जस्टिस जे चेलमेश्वर:* श्रम, अप्रत्यक्ष कर, भूमि अधिग्रहण, मुआवजा, साधारण सिविल, साधारण धन व गिरवी संपत्ति केस।
*जस्टिस रंजन गोगोई:* श्रम, अप्रत्यक्ष कर, कंपनी लॉ, सेबी, ट्राई, आरबीआई, अवमानना, पर्सनल लॉ, बैंकिंग आदि।
*जस्टिस मदन बी लोकुर:* भूमि अधिग्रहण, नौकरी, वन, वन्य जीवन, पर्यावरण असंतुलन, सामाजिक न्याय, साधारण सिविल केस, सशस्त्र बलों से जुड़े केस।
*जस्टिस कुरियन जोसेफ:* श्रम, किराया, नौकरी, अपराध, परिवार कानून, अवमानना, पर्सनल लॉ आदि केस।
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