पाकिस्तान की हुंजा कम्युनिटी। खासियत ये है कि इसकी महिलाएं
80 साल में भी 30-40 साल जैसी दिखाई देती हैं। ये कम्युनिटी उत्तरी
पाकिस्तान की कराकोरम पहाड़ियों में हुंजा घाटी नाम से चर्चित जगह पर रहती
है। कहा जाता है कि इस कम्युनिटी के लोग औसतन 120 साल तक जिंदा रहते हैं। इन लोगों को नहीं होता कैंसर...
- हुंजा कम्युनिटी के लोग फिजिकली और मेंटली बहुत स्ट्रॉन्ग होते हैं।
- एक ओर इनकी औरतें बूढ़ी होने पर भी जवान दिखती हैं, वहीं इनके मर्द 90 साल में भी पिता बन सकते हैं।
- इनकी लाइफस्टाइल ही इनके लंबे जीवन का रहस्य है। ये लोग सुबह 5 बजे उठ जाते हैं। ये लोग पैदल बहुत घूमते हैं।
- कहा जाता है कि ये लोग दिन में केवल दो बार ही खाना खाते हैं। पहली बार वो दिन में 12 बजे खाना खाते हैं और फिर रात को।
- इनका खाना पूरी तरह नेचुरल होता है। इसमें किसी तरह का कैमिकल नहीं मिलाया जाता।
- इनका दूध, फल, मक्खन सब चीजें प्योर होती हैं। गार्डन में पेस्टिसाइड स्प्रे करना इस कम्युनिटी में बैन है।
- ये खास तौर पर जौ, बाजरा, कुट्टू और गेहूं खाते हैं। इनके अलावा आलू, मटर, गाजर, शलजम, दूध जैसी चीजें भी ये बहुत खाते हैं।
- ये कम्युनिटी मांस बहुत कम खाती है। किसी खास मौके पर ही मांस पकता है, लेकिन उसमें भी पीस बहुत छोटे-छोटे होते हैं।
- इस कम्युनिटी के लोगों को बुरुशो भी कहते हैं। इनकी भाषा बुरुशास्की है।
- कहा जाता है कि ये कम्युनिटी अलेक्जेंटडर द ग्रेट की सेना के वंशज हैं। जो 4थी सदी में यहां आए थे।
- ये कम्युनिटी पूरी तरह मुस्लिम है। इनकी सारी एक्टिविटीज मुस्लमानों जैसी ही हैं।
- ये कम्युनिटी पाकिस्तान की बाकी कम्युनिटीयों से कहीं ज्यादा एजुकेटेड है।
- हुंजा घाटी में इनकी पॉपुलेशन करीब 87 हजार ही है।
- हुंजा वैली पाकिस्तान की सबसे ज्यादा पसंदीदा टूरिस्ट डेस्टिनेशन्स में से एक है।
- दुनियाभर से लोग यहां की पहाड़ों में छुपी खूबसूरती देखने आते हैं।
- इस कम्युनिटी पर कई लोग किताबें भी लिख चुके हैं।
- इनमें से जेआई रोडाल की 'द हेल्दी हुंजास' और डॉ. जो क्लार्क की 'द लोस्ट किंगडम ऑफ द हिमालयाज' फेमस हैं।
- हुंजा कम्युनिटी के लोग फिजिकली और मेंटली बहुत स्ट्रॉन्ग होते हैं।
- एक ओर इनकी औरतें बूढ़ी होने पर भी जवान दिखती हैं, वहीं इनके मर्द 90 साल में भी पिता बन सकते हैं।
- इनकी लाइफस्टाइल ही इनके लंबे जीवन का रहस्य है। ये लोग सुबह 5 बजे उठ जाते हैं। ये लोग पैदल बहुत घूमते हैं।
- कहा जाता है कि ये लोग दिन में केवल दो बार ही खाना खाते हैं। पहली बार वो दिन में 12 बजे खाना खाते हैं और फिर रात को।
- इनका खाना पूरी तरह नेचुरल होता है। इसमें किसी तरह का कैमिकल नहीं मिलाया जाता।
- इनका दूध, फल, मक्खन सब चीजें प्योर होती हैं। गार्डन में पेस्टिसाइड स्प्रे करना इस कम्युनिटी में बैन है।
- ये खास तौर पर जौ, बाजरा, कुट्टू और गेहूं खाते हैं। इनके अलावा आलू, मटर, गाजर, शलजम, दूध जैसी चीजें भी ये बहुत खाते हैं।
- ये कम्युनिटी मांस बहुत कम खाती है। किसी खास मौके पर ही मांस पकता है, लेकिन उसमें भी पीस बहुत छोटे-छोटे होते हैं।
- इस तरह की लाइफ स्टाइल की वजह से इन्हें कैंसर जैसी बीमारी कभी नहीं होती।
अलेक्जेंडर द ग्रेट की सेना के वंशज
- इस कम्युनिटी के लोगों को बुरुशो भी कहते हैं। इनकी भाषा बुरुशास्की है।
- कहा जाता है कि ये कम्युनिटी अलेक्जेंटडर द ग्रेट की सेना के वंशज हैं। जो 4थी सदी में यहां आए थे।
- ये कम्युनिटी पूरी तरह मुस्लिम है। इनकी सारी एक्टिविटीज मुस्लमानों जैसी ही हैं।
- ये कम्युनिटी पाकिस्तान की बाकी कम्युनिटीयों से कहीं ज्यादा एजुकेटेड है।
- हुंजा घाटी में इनकी पॉपुलेशन करीब 87 हजार ही है।
टूरिस्ट डेस्टिनेशन है हुंजा वैली
- हुंजा वैली पाकिस्तान की सबसे ज्यादा पसंदीदा टूरिस्ट डेस्टिनेशन्स में से एक है।
- दुनियाभर से लोग यहां की पहाड़ों में छुपी खूबसूरती देखने आते हैं।
- इस कम्युनिटी पर कई लोग किताबें भी लिख चुके हैं।
- इनमें से जेआई रोडाल की 'द हेल्दी हुंजास' और डॉ. जो क्लार्क की 'द लोस्ट किंगडम ऑफ द हिमालयाज' फेमस हैं।
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