चंडीगढ़: पाकिस्तान की लाहौर जेल में मौत के बाद भारतीय कैदी किरपाल सिंह का शव भारत लाया गया, लेकिन अमृतसर मेडिकल कॉलेज की पोस्टमॉर्टम में मौत की वजह साफ नहीं हो सकी है। डॉक्टरों को उसके शरीर पर किसी तरह का जख्म नहीं मिला। 24 साल बाद किरपाल सिंह को अपने वतन की मिट्टी नसीब हुई, लेकिन मौत के बाद। उसका शव बाघा बॉर्डर पर पाकिस्तान ने भारतीय अधिकारियों को सौंपा।
पाकिस्तानी जेल प्रशासन ने हार्ट अटैक से मौत की वजह बताई
11 अप्रैल को किरपाल की मौत लाहौर की कोट लखपत जेल में हो गई थी। पाकिस्तानी जेल प्रशासन ने मौत की वजह हार्ट अटैक बताई थी। शव का दिल और कुछ अन्य अंग लाहौर के जिन्ना अस्पताल में निकाल लिए गए। कुछ अंगों के हिस्से लैब भेजे गए हैं, ताकि पता चल सके कि कहीं किरपाल की मौत जहर से तो नहीं हुई।
पोस्टमॉर्टम करने वाले डॉक्टर अशोक चनाना ने बताया कि मौत किस वजह से हुई फिलहाल ये कहना मुश्किल है। जिन्ना अस्पताल की रिपोर्ट और विसरा रिपोर्ट के बाद ही पक्के तौर पर कुछ कहा जा सकता है। पोस्टमॉर्टम के बाद किरपाल के शव को परिवार को सौंप दिया गया। उसका अंतिम संस्कार गुरदासपुर में होगा।
सरबजीत सिंह की बैरक में था किरपाल
किरपाल को कोट लखपत जेल में सरबजीत सिंह की बैरक में रखा गया था, जिनकी 2013 में जेल में कुछ पाकिस्तानी कैदियों ने हत्या कर दी थी। सरबजीत की बहन को पाकिस्तान की जेलों में बंद भारतीय कैदियों की सुरक्षा की चिंता है। दलबीर कौर कहती हैं कि हमारे 74 कैदी पाक की जेलों में सुरक्षित नहीं हैं...मैंने लिस्ट भारत सरकार को दी है। खासकर दो कैदियों पर ज्यादा खतरा है। अहमदाबाद के कुलदीप कुमार और महाराष्ट्र के अंसारी की जान को सबसे ज्यादा खतरा है।
किरपाल का आखिरी खत, जो वह भेज न सका
पाकिस्तान ने किरपाल का सामान भी परिवार को सौंपा जिसमें एक खत मिला है, जो वह भेज नहीं पाया। किरपाल के आख़िरी खत में उसका दर्द दर्ज है। उन्होंने लिखा, यहां पर मेरी तबीयत ठीक नहीं चल रही। आप लोग कोई चिट्ठी भी नहीं लिखते। जल्दी से कोई अच्छा वकील क्यों नहीं करते मुझे यहां से निकालने के लिए? क्या आप लोग मेरी लाश का इंतज़ार कर रहे हैं?
چندی گڑھ: پاکستان کی لاہور جیل میں موت کے بعد بھارتی قیدی کرپال سنگھ کی لاش بھارت لایا گیا، لیکن امرتسر میڈیکل کالج کی پوسٹ مارٹم میں موت کی وجہ واضح نہیں ہو سکی ہے. ڈاکٹروں کو اس کے جسم پر کسی قسم کا زخم نہیں ملا. 24 سال بعد کرپال سنگھ کو اپنے وطن کی مٹی نصیب ہوئی، لیکن موت کے بعد. اس کی لاش باگھا بارڈر پر پاکستان نے ہندوستانی حکام کو سونپا.
پاکستانی جیل انتظامیہ نے ہارٹ اٹیک سے موت کی وجہ بتائی
11 اپریل کو کرپال کی موت لاہور کی کوٹ لکھپت جیل میں ہو گئی تھی. پاکستانی جیل انتظامیہ نے موت کی وجہ ہارٹ اٹیک بتائی تھی. لاش کا دل اور کچھ دیگر اعضاء لاہور کے جناح ہسپتال میں نکال لئے گئے. بعض اعضاء کے حصے لیب بھیجے گئے ہیں، تاکہ پتہ چل سکے کہ کہیں کرپال کی موت زہر سے تو نہیں ہوئی.
پوسٹ مارٹم کرنے والے ڈاکٹر اشوک چنانا نے بتایا کہ موت کس وجہ سے ہوئی فی الحال یہ کہنا مشکل ہے. جناح ہسپتال کی رپورٹ اور رستہ رپورٹ کے بعد ہی پکے طور پر کچھ کہا جا سکتا ہے. پوسٹ مارٹم کے بعد کرپال کے لاش کو خاندان کے حوالے کر دیا گیا. اس کا جنازہ گرداس پور میں ہو گا.
سربجیت سنگھ کی بیرک میں تھا کرپال
کرپال کو کوٹ لکھپت جیل میں سربجیت سنگھ کی بیرک میں رکھا گیا تھا، جن کی 2013 میں جیل میں کچھ پاکستانی قیدیوں نے قتل کر دیا تھا. سربجیت کی بہن کو پاکستان کی جیلوں میں بند بھارتی قیدیوں کی حفاظت کی فکر ہے. دلبیر کور کہتی ہیں کہ ہمارے 74 قیدی پاکستان کی جیلوں میں محفوظ نہیں ہیں ... میں نے فہرست بھارت حکومت کو دی ہے. خاص طور پر دو قیدیوں پر زیادہ خطرہ ہے. احمد آباد کے کلدیپ کمار اور مہاراشٹر کے انصاری کی جان کو سب سے زیادہ خطرہ ہے.
کرپال کا آخری خط، جس میں وہ بھیج نہ سکا
پاکستان نے کرپال کا سامان بھی خاندان کو تفویض جس میں ایک خط ملا ہے، جس میں انہوں بھیج نہیں پایا. کرپال کے آخری خط میں اس کا درد درج ہے. انہوں نے لکھا، یہاں پر میری طبیعت ٹھیک نہیں چل رہی. آپ لوگ کوئی خط بھی نہیں لکھتے. فوری طور پر کوئی اچھا وکیل کیوں نہیں کرتے مجھے یہاں سے نکالنے کے لئے؟ کیا آپ لوگ میری لاش کا انتظار کر رہے ہیں؟
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